Saturday, July 30, 2011

भगदड़

गर्मियों की छुट्टियों में मेरे परिवार ने शिमला जाने का निर्णय लिया. मेरे पिता जी ने दिल्ली से शिमला जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस की टिकट बुक करवा दी. ट्रेन पहले जून को सुबह आठ बजे निकलने वाली थी. हम सात बजे रेलवे स्टेशन पहुंचे. जैसे ही हम रेलवे स्टेशन में घुसे, मैंने देखा कि ट्रेन के नीचे बैग पड़ा हुआ है. मैंने अपनी माता से कहा कि में देख कर आता हूँ कि यह बैग किसका है.



मैंने रेलवे स्टेशन में कई लोगों से पूछा लेकिन उनमे से किसी का भी बैग नहीं था. अचानक के लड़का बोला 'लगता है आतंकवादिओं ने इस बैग में बम डाला है. यह सुनते ही सभी लोग भागने लगे. रेलवे स्टेशन में भगदड़ शुरू हो गई. मैं डर गया था. तभी अचानक ट्रेन से मम्मी की आवाज़ आई. उन्होंने मुझसे कहा कि इस बैग का मालिक मिल चुका है. में मुश्किल से ट्रेन में घुसा और वह बैग उसके मालिक को दे दिया. 

वह बैग एक अंकल का था जो एक संगीत कर थे. उस बैग में गाने की बुक और अन्य संगीत के चींजें भरी हुई थीं. अंकल ने मुझे धन्यवाद दिया. भगदड़ अब भी चालू थी. मैंने अंकल से उनका माइक माँगा और मैंने सभी लोगों को यह बता दिया कि इस बैग में बम नहीं है और संगीत की चीजें भरी हुई हैं. सभी लोग संतुष्ट हो गए. 

हम शिमला चले गए. ट्रेन से उतारते ही मुझे डर था कि कहीं फिर से भगदड़ न शुरू हो जाए. यह मेरा पहला अनुभव था कि मैंने भगदड़ का सामना किया.