Sunday, May 2, 2010

हमारा पुराना मेरठ

मेरे परीक्षा खत्म होने के बाद जब मैं अपने घर आया  तो कम नींद के कारण मैने दो बार उलटी की हमारा मेरठ जाने का prograam था तो मम्मी ने सोचा कि trip cancel कर देते हैं लेकिन  मैने ट्रिप कैंसल करने से इनकार कर दिया | 5:50 से 7 बजे तक हम सब सो गए मम्मी ने alarm तो लगाया था लेकिन उन्होंने एक गढ़बढ़ कर दी उन्हें इतवार का दिन लगाना चाहिए था लेकिन उन्होंने गलिती से सोमवार का दिन लगा दिया | अच्छी किस्मत से पापा ने पूछा कि समय क्या हो रहा हे तो जब उन्होंने घड़ी देखी तो वह हेरान हो गयी 6:05 बज रहे थे तो हमने जल्दी से कपड़े पहने समय इतना निकल रहा था कि हम दांत साफ़ ना कर सके बस मम्मी toilet जा चुकी थी, हमने अम्मा जी का आशीर्वाद लेकर पापा तेज़ी से गाढ़ी चला रहे थे हम स्टेशन पर 7 बजे पहुँचे पापा ने जल्दी से पुल्ली को बुलाया हम भागते हुऐ अपनी ट्रेन में बैठ गए और 5 second के बाद ट्रेन चल पड़ी हमने वहाँ चाय पी |
                              2 घंटे बाद
जब हम मेरठ पहुंचे तो नाना जी और उनका driver हमारा इंतज़ार कर रहे थे | जब उन्होंने हमें देखा तो मैने नाना जी के पैर छूए और सामान गाड़ी में रखकर उनके घर चले गए वहाँ मेरी नानी, पर नानी  और पर नाना हमारा इन्तेजार कर रहे थे | मैंने उनका आशीर्वाद लिया | दोपहर में नाना जी पर नाना और पर नानी को डॉक्टर के पास ले गए जब वो वापस आये तो मैं नहा चुका था वो मेरे लिए एक pencil stand लाए थे जिसमे घड़ी भी थे | नाना जी मुझे ice-cream दिलाने के लिए ले गए वहाँ पर अपने दोस्तों से भी मिल लिए | जब हम घर आए तो पड़ोस का कुत्ता बहुत भोंक रहा था | जुही उसके के साथ दूर से खेलती थी | शाम को पर नाना मुझे maths के shortcuts बताते थे | अगले दिन सुबह नाना जी और मैं गाय का दूध लेने के दूध वाले के पास गए वहाँ बहुत बदबू आ रही थी जब हम वापस आये तो नानी जी ने देखा कि मेरी आखें चिम-चिमा रही थी यह देखकर नानी जी ने मुझसे पूछा कि तुमहरी आँखे क्यों चिम-चिमा रही हैं मैं ने उनहें बताया कि मेरी एक आँख के ऊपर की जगह छिल गयी थी तो मैं फरीदाबाद में एक paediatrician के पास गया था उन्होंने बताया था कि मुझे किसी चीज़ से alergy है तो उन्होंने दवाइयां बताई लेकिन उससे कुछ खास असर नहीं हुआ | दो दिन के बाद नाना जी मुझे आँखों के डॉक्टर के पास ले गए वो बहुत अच्छे डॉक्टर थे | उनका क्लीनिक अभी बंद था तो हम पहले shopping करने के लिए चले गए वहाँ नाना जी ने अपनी दो कुर्सियाँ ठीक करवाई और कपड़े लेने के लिए चले गए वहाँ से हमने जुही के लिए 3 frok, मेरे लिए 2 shirt, 1 belt, 1 jeans और 3 पजामें खरीदी पापा के लिए shirt और pant खरीदी पर्स कि दुकन पर पापा के लिए पर्स ख़रीदा मम्मी के लिए चप्पल खरीदी जुही के लिए फुटबाल खरीदी और फिर हम डॉक्टर के पास गए मेरी आँखों के                  इलाज के लिए उन्होंने बताया कि आँखों में कोई problem नहीं थी यह skin कि बीमारी है | तो उन्होंने दवाइयां बताई और उन्हें धन्यवाद कर हम घर आ गए रात को नाना जी ने नानी का BP check किया और फिर हम सब सो गए | अगले दिन पापा ने मम्मी को फोन पर बताया कि मैं छटी कक्षा में second आया हूँ  हम एक mall गए वहाँ मैने video-games खेला और फिर जब हम घर आ रहे थे तो हमने सोचा कि हम कल फिल्म देखेंगे तो अगले दिन जब जुही आईपॉड में फिल्म देख रही थी तो मैंने उससे  आईपॉड लिया बहूँ गन्दा हो गया था तो मेंने कपडे को थोड़ा सा गीला कर के उसे साफ़ किया तो वह खराब हो गया मैं बहुत दुखी था फिर मैंने सोचा कि यह ठीक हो जायेगा उसे चार्ज पर रखकर हम फिल्म देखने उसी मॉल में गए फिल्म का नाम था ‘अतिथि तुम कब जाओगे’ वो बड़ी मजेदार फिल्म थी उसमे एक फॅमिली के घर एक अतिथि आया था उसने उन्हें एक महीन से सताया आखिर मैं उसे यह पता चला कि वह गलत घर में घुस गया बीच में क्या हुआ यह तो फिल्म ही बताएगा फिर हम घर वापस आये और और सुबह के साड़े तीन बजे हम अपने घर से निकले, नानी और नाना भी चले क्योंकि नानी को अपनी आई आई टी से दवाई लेनी थी . तक्सी ले कर हम बड़े नाना और बड़े नानी को अलविदा कह कर आई आई टी में गए. वहाँ पर हमने बहुत सारे मोर देखे, अंकल के घर में दो बिल्ली थी, एक बिल्ली तो हमारे ऊपर कूदने के चक्कर में थी और उनके पास पांच कुत्ते थे जो लड़ाई करते थे. फिर दवाई ले कर हम अपने घर वापिस आ गए. मैने अपना रिपोर्ट कार्ड देखा में बहुत प्रसन्न हुआ और फिरं हमने अपना सूटकेस खोला, पापा को उनकी नयी चींजें दिखाई और शाम को नाना नानी वापिस मेरठ चले गए.